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राजनांदगांव; सरस्वती महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं ने रेडी-टू-ईट निर्माण कर बदली तकदीर

हजार बर्क गिरे लाख आंधियां उठे, वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
ग्राम बुद्धूभरदा की सरस्वती महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं ने रेडी-टू-ईट निर्माण कर बदली तकदीर
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से मिली मदद
आपसी सहयोग एवं एकता से जीवन को मिली दिशा आया परिवर्तन
समूह की सभी महिलाओं के कच्चे मकान बने अब पक्के मकान
राजनांदगांव 23 सितम्बर 2020। हजार बर्क गिरे लाख आंधियां उठें, वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं। प्रख्यात शायर साहिर लुधियानवी की यह नज्म डोंगरगांव विकासखंड के संकुल अर्जुनी के ग्राम बुद्धूभरदा की सरस्वती महिला स्वसहायता समूह के लिए उपयुक्त लगती है। इन महिलाओं में कुछ करने का जज्बा था और इस समूह के प्रेरणा स्रोत बने देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम। बिहान की इन 10 महिलाओं को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिला पंचायत राजनांदगांव से मदद मिली। चक्र्रिय निधि राशि 15 हजार रूपए प्राप्त हुई। इस राशि का उपयोग कर समूह की महिलाओं ने आपसी सहयोग एवं एकता से नवीन कार्यों को प्रारंभ किया और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत बनी और जिसकी सुखद परिणति यह रही कि समूह की सभी महिला सदस्यों ने अपने कच्चे मकान को पक्का मकान बनवा लिया है। बिहान से जुड़कर जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आया।
सरस्वती स्वसहायता समूह द्वारा रेडी-टू-ईट फूड निर्माण किया जा रहा है। जिसमें समूह के सदस्यों द्वारा स्वयं की पूंजी, समूह में जमा पूंजी एवं 50 हजार रूपए का ऋण लेकर रेडी-टू-ईट फूड निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया, समूह द्वारा बैंक लिंकेज के माध्यम ऋण लेकर रेडी-टू-ईट फूड निर्माण के लिए उन्नत मशीनें क्रय किया गया है। जिसके फलस्वरूप आज यह समूह प्रतिमाह 10 टन रेडी-टू-ईट फूड का निर्माण कर रही हंै, जिसका उत्पादन लागत 1 लाख 20 हजार रूपए से 1 लाख 30 हजार प्रतिमाह आता है एवं समूह प्रतिमाह सभी व्यय का भुगतान कर 20 हजार रूपए से 30 हजार रूपए का शुद्ध लाभ प्राप्त कर लेती है, प्रति सदस्य लगभग 2500 रूपए शुद्ध आय हो जाती है भविष्य में यह समूह रोस्टर मशीन क्रय करना चाहती है, जिससें उत्पादन गुणवत्ता में सुधार किया जा सके।